जामिया मिल्लिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के चलते हाल ही में हिं’सा हुई थी। जामिया में दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्यवाई के लगभग दो हफ़्ते बाद, पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने इस पर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की है। PUDR ने इस रिपोर्ट ने जामिया के पूरे घटनाक्रम के लिए दिल्ली पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराया है।
गुरुवार को रिलीज की गई इस रिपोर्ट का नाम ‘द ब्लडी संडे 2019‘ रखा गया है। वही इस रिपोर्ट यह दावा किया गया है कि दिल्ली पुलिस ने छात्रों को 13 दिसंबर को संसद तक मार्च निकालने से रोका, और उनपर ‘अ’त्यधि’क और अं’धाधुं’ध ला’ठीचा’र्ज’ किया गया. इसमें यह भी लिखा गया है कि जो छात्र उस प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, उनपर भी हमले हुए।
वही इस रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा भी किया गया है कि पुलिस ने कई छात्रों के सीने पर बं’दूक भी तानी जामिया में हुई हिं’सा के दौरान तो’ड़फो’ड़ भी की गई थी. यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस लाइब्रेरी में घु’सी और साथ ही वहां आं’सू गै’स के गो’ले भी दा’गे और इसके बाद पुलिस ने यूनिवर्सिटी में जबरदस्ती प्रवेश किया।
पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के अनुसार पुलिस वहां पर सिर्फ मार्च को मैनेज करने के लिए नहीं थी बल्कि वह लोग उस मार्च का दमन करने के लिए थी। पुलिस की हिं’सक कार्यवाई से साफ़ पता चलता है कि पुलिस मार्च में मौजूद लोगो को चोट पहुंचाने के लिए आई थी।
How to rescue a victim during a #lynching incident.
Real life demo by women students of #Jamia— Natasha Badhwar (@natashabadhwar) December 15, 2019
वही इस रिपोर्ट में पुलिस के लाइब्रेरी में घुसकर तो’ड़फो’ड़ करने का जिक्र करते हुए लिखा गया कि पुलिस बिना इज़ाज़त के कैंपस में घु’सी जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं थी और पुलिस ने सबूत मिटाने के लिए कैमरे भी तोड़े है।
आपको बता दें कि 15 दिसंबर को दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया में हिं’सक प्रदर्शन हुआ था. इसके बाद यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में छात्रों और पुलिस के बीच झ’ड़प भी देखी गई थी।
यूनिवर्सिटी ने लाइब्रेरी में पढ़ने वाले छात्रों को बुरी तरह से पीटने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी की प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने और लाइब्रेरी में तोड़फोड़ करने मामले की जांच की भी सिफारिश की है।