नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर चल रहे दिल्ली के शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हटाने को लेकर दाखिल की गई याचिका पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है लेकिन इसकी एक सीमा है। लोगों को एक कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सवाल आंदोलन की जगह का है।
वही दाखिल की गई याचिका सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा की अगर हर कोई रोड ब्लॉक करने लगा तो ऐसा कैसे चलेगा। हमें सबसे ज्यादा चिंता इस बात को लेकर है कि अगर लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने लगें तो क्या होगा, एक बैलेंसिंग फैक्टर होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि विरोध करना लोगों का मौलिक अधिकार है लेकिन सड़कों को ब्लॉक कर हम परेशान कर रहे हैं।
बता दें इस मामले को लेकर अदालत ने वरिष्ठ वकील संजय हेगडे और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शकारियों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी है। जो प्रदर्शनकारियों से बात करके प्रदर्शनस्थल की जगह बदलने के लिए मनाने को कहा गया है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों वकीलों से कहा है कि अगर वह चाहें तो वजाहत हबीबुल्ला को अपने साथ ले जा सकते हैं। साथ ही अदालत ने केंद्र, दिल्ली पुलिस और सरकार को प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए कहा। अब अगली सुनवाई सोमवार 24 फरवरी को होगी।
Supreme Court starts hearing the petitions seeking appropriate directions to the Centre and others for removal of the Citizenship Amendment Act (CAA) protesters from Shaheen Bagh, near Kalindi Kunj. pic.twitter.com/O1TrgKUIR6
— ANI (@ANI) February 17, 2020
आपको बता दें दिल्ली स्थित शाहीन बाग में पिछले साल दिसंबर महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है, लोग नागरिकता संशोधन कानून को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।
हलाकि शाहीन बाग पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शाहीन बाग में लंबे समय से प्रदर्शन चल रहा है लेकिन यह दूसरे के लिए असुविधा नहीं पैदा कर सकता। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुने बगैर कोई निर्देश जारी नहीं करेगी। हालांकि तब सड़क खाली करवाने का कोई आदेश नहीं दिया गया था।