बीते कुछ दिनों पहले केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में तीन तलाक निरोधी कानून को पेश किया था, जिसके बाद इस मामले को लोकसभा में पारित कर दिया गया| हालांकि इसमें मुस्लिम राजनेताओं ने असहमति जताई जिस पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी अपनी राय जाहिर की|
आचार्य प्रमोद ने कहा कि तीन तलाक़ के बहाने सरकार ने “शरीयत” को बदल दिया, और पूरा विपक्ष “शिखंडियों” की तरह “ताली” बजाता रहा| आपको बता दें कि उस वक़्त किसी अन्य नेता के अलावा आचार्य प्रमोद ही थे जिन्होंने कांग्रेस के मुस्लिम राज्य सभा सांसदों से इस बिल के खिलाफ राज्यसभा में आवाज उठानी की अपील की थी|

उन्होंने कहा था कि ग़ुलाम नवी आज़ाद और अहमद पटेल को राज्य सभा में, इस बिल का विरोध करना चाहिये था| साथ ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी से भी ये सवाल किया था कि कोंग्रेस को भी तीन तलाक़ वाले मामले में देश के सामने अपनी राय स्पष्ट कर देनी चाहिए की वो इस मुद्दे पर मुस्लिमों के साथ है अथवा नहीं|
सुप्रिम कोर्ट ने बीते साल तीन तलाक पर जब फैसला सुनाया था| मतलब सुप्रिम कोर्ट के उस आदेश के अनुसार एक साथ तीन बार तलाक़-तलाक़-तलाक़ कहकर अपनी पत्नि को छोड़ देने वाले लोगों को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया था|
इसके अलावा इतना ही नहीं उस दौरान उसे जेल में रहते हुए भी अपनी तलाक़ दी हुयी पत्नी को गुजारा भत्ता भी देना होगा| और इस तरह के दिए गए तलाक को अवैध माना जायेगा|
क्या इस देश में मुस्लिम समुदाय एक वोट बैंक बनकर रह गया है? मतलब मुस्लिमों को सिर्फ इस्तेमाल करने का सामान बनाकर छोड़ दिया गया है| ये एक साजिश है मुस्लिम समुदाय के खिलाफ जिसकी वजह से नौजवानों को जेल में ठूंसकर उनके ज़िंदगी के तीन साल बर्बाद किये जायेंगे|
तीन साल की सज़ा काटने के बाद क्या वो अपनी बीवी को अपनाएगा? जिसकी वजह से उसने तीन साल जेल में गुज़ारे हों| और उन तीन सालों में में बीवी क्या किसी गैर मर्द की रखेल बनकर रहेगी| इतनी महंगाई में गुज़रा करना क्या इतना आसान होगा| जब आपके पास कोई वोट मांगे आये तो उससे सवाल करना सीखो|