नई दिल्लीः केंद्र सरकार भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र में लंबे समय से अयोध्या में राम मंदिर बनाना, अनुच्छेद 370 को हटाना और समान नागरिक संहित लागू करना ये मुद्दा है। मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला लिया। इस फैसले के बाद अब समान नागरिक संहिता पर चर्चा सुरु हो गई है। अभी देश में अनेक धर्मों और संप्रदायों के लोगों के लिए शादी बच्चे को गोद लेना संपत्ति या उत्तराधिकार आदि मामलों को लेकर अलग अलग नियम है।
आजादी के बाद से ही सभी धर्मों के लिए एक ऐसे कानून बनाए जाने की बात होती रही है जो सब पर एक समान लागू हो। हालांकि अभी तक सहमति नहीं बन सकी है। पूर्व में हिंदू कोड बिल और अब तत्काल तीन तलाक पर बना कानून इस दिशा में मोदी सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है। सोमवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन बिल पास हो गया है। सरकार ने ये ऐतिहासिक कदम तीन तलाक पर हुए बड़े फैसले के महज एक हफ्ते से भी कम समय बाद उठाया है।

वही कहा जा रहा है की अयोध्या मामला भी अब अंतिम चरण में है और जल्द ही इसपर कोई फैसला आ सकता है। मंगलवार से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू है। वही सरकार के 370 पर आए फैसले के बाद ये माना जा रहा है कि अगला कदम समान नागरिक संहिता को लागू करना हो सकता है। यानि कॉमन सिविल कोड या फिर यूनिफार्म सिविल कोड। भारत में समान नागरिकता के कानून के लिए बहस लगातार चल रही है।
ये बहस इसलिए चली आ रही है क्योंकि इस तरह के कानून के ना होने से महिलाओं के बीच आर्थिक और सामाजिक असुरक्षा बढ़ रही है। वहीं सरकारें इस कानून को बनाने की हिमायतें तो करती हैं लेकिन राजनीतिक मजबूरियों की वजह से ऐसा करने में सफल नहीं हो पातीं।
समान नागरिक संहिता की बात आजादी के बाद हुई थी लेकिन उसका विरोध हुआ जिस वजह से उसे 44वें अनुच्छेद में रखा गया। जब भी इसकी बात होती है तो उस पर राजनीति शुरू हो जाती है।